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ख्वाब कभी हकीकत में बदलकर नहीं आया यार कभी तस्वी

ख्वाब कभी हकीकत में बदलकर नहीं आया
यार  कभी  तस्वीर  से  निकलकर नहीं आया

वक़्त का तकाज़ा देकर आया तो मिलने मुझे
दोस्त बन के आया मेहबूब बनकर नहीं आया

यूं  तो  कुछ  नहीं  करता  पर गजब करता है
आइने  से  मिला  खुद से मिलकर नहीं आता

वो आया तो मिलने जल्दबाजी की हड़बड़ी में
गिरा और चोट खा गया संभलकर नहीं आया

जब  गिरा  वो  तो  ज़ख्म  भी गहरा लगा उसे
नादान  है की साथ मरहम रखकर नहीं आया

बेबस जिंदगी में 'ओजस' सुकूं कहां किसी को
चुनरी  तो  लाया मगर सर ढककर नहीं आया
               स्वरचित मौलिक रचना
      ✍️@राजेश राजावत🖋️"ओजस"
                      ( दतिया , मध्य प्रदेश )

©Ozas anil kumar shayari dill ke Praveen Storyteller Deepak kumar ARVIND YADAV 1717
ख्वाब कभी हकीकत में बदलकर नहीं आया
यार  कभी  तस्वीर  से  निकलकर नहीं आया

वक़्त का तकाज़ा देकर आया तो मिलने मुझे
दोस्त बन के आया मेहबूब बनकर नहीं आया

यूं  तो  कुछ  नहीं  करता  पर गजब करता है
आइने  से  मिला  खुद से मिलकर नहीं आता

वो आया तो मिलने जल्दबाजी की हड़बड़ी में
गिरा और चोट खा गया संभलकर नहीं आया

जब  गिरा  वो  तो  ज़ख्म  भी गहरा लगा उसे
नादान  है की साथ मरहम रखकर नहीं आया

बेबस जिंदगी में 'ओजस' सुकूं कहां किसी को
चुनरी  तो  लाया मगर सर ढककर नहीं आया
               स्वरचित मौलिक रचना
      ✍️@राजेश राजावत🖋️"ओजस"
                      ( दतिया , मध्य प्रदेश )

©Ozas anil kumar shayari dill ke Praveen Storyteller Deepak kumar ARVIND YADAV 1717
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ओजस"

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