तुम कौन हो तुम्हें देखा भी है या नहीं फिर क्यों सपनों में आने लगी हो हवाओं के साथ बहकर गुनगुनाने लगी हो हर वक्त दिल में मुस्कुराने लगी हो इन विचारों के बीच खलबली सी मचाने लगी हो दूर होकर भी अक्सर पास मे भटकने लगी हो इन फूलो के बीच रंग बिरंगी तितलियों सी मंडराने लगी हो हर पल में ख्वाब जगाने लगी हो इन टूटी पड़ी सपनों की डोर में फिर से वह गिठान लगाने लगी हो उस थमे हुऐ से लमहे को फिर से गुजारने लगी हो आखिर तुम कौन हो जो इस दिल को धड़काने लगी हो Tum kon ho