उजास बिखेरती जाती थी , गुनगुनाती अपनी धुन जब नदी किनारे सीपी चुनती थी नटखट चुनमुन अब अपनी जिम्मेदारियों में रहती है बस गुमसुम कहीं खो गयी वो उन्मुक्त हंसी,वो बचपन के दिन! Collab and add your beautiful thoughts on our #wsseaside bg. #jayakikalamse #wrscribblezone #yqwritosphere #yqbaba #yqquotes #scribbles #YourQuoteAndMine Collaborating with Writosphere- TheScribbleZone