यूँ फुरसत में कभी मिलना तुमसे कुछ बात करनी है, बड़ा मलाल है इस दिल में ये खिड़की साफ करनी है। भले से टूट जाओ खुद यहां खोकर तुम अपने को, मगर हर जीत से पहले की गलती माफ करनी है। कभी किसी ने लहजा बदल लिया कभी लिहाज़ नहीं रहा, जो घुट के मर जाती है गुफ्तगू उसे क़ैदे-अल्फ़ाज़ करनी है। देखो हमेशा चुप ही रहना है यहां दिलगीर के आगे, जब तक दम न निकले तब तक बातें बर्दाश्त करनी है। अगर तुम से नहीं होता तो मत पालो कोई हसरत यहाँ तो बस इन्तज़ारों में सुबह से शाम करनी है। #माधवेन्द्र_फैजाबादी