कोरे काग़ज पर क्यूं ना कोई अल्फाज़ उकेर दूं उठा कलम ,शब्दों से कोई किरदार उतार दूं, गढ़ दूं आज मूरत मातृ की ,शब्दों सा उनका पावन हृदय लिख दूँ देव भी आस किये जिस आंचल का क्यूं ना आज उसे स्वर्ग का परिवेश लिख दूँ, प्रेम -वत्सल का निश्छल -निस्वार्थ प्रवाह हृदय में जिसके उस माँ के आंचल में अपना सर्वस्व जीवन अर्पण कर दूँ, कोरें कागज पर क्यूं ना कोई अल्फा़ज उकेर दूं उठा कलम ,शब्दों से आज माँ का किरदार उतार दू़ं...!! OPEN FOR COLLAB 🌿🌴 A challenge by प्रेम मंथन ✍️🌹🙏 Collob करके कॉमेंट्स में done लिखना ना भूलें अगर लिखने का हुनर है तो लिखें जरूर Collab with your heart feel words. #खूबसूरत_सफ़र_साथी_के_साथ #साथी_का_पहरेदार_पिया #हमसफ़र_मेरा