काश ऐसा हो जाए, कोई रोज़ ऐसा भी आए मेरे देश के ये चंद, मीर क़ासिम और जयचंद छोड़ लालच की अभिलाषा, समझें प्रेम परिभाषा निर्धन की व्यथा समझें, बलिदान प्रथा समझें आडंबर हो ना हो अड़ंगा, झगड़ा हो ना कोई दंगा सब राष्ट्रहित सराहें, प्रगति के पथ सजाएँ #काश_ऐसा_हो_जाए_रचना #yqdidi #yqbhaijan #yqbaba #august #yqshayari #aestheticthoughts #100poemsfor100days Collaborating with @रचनाकासार