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सरल हूँ सहज हूं, प्यारी हूँ न्यारी हूं, अनपढ को सम

सरल हूँ सहज हूं,
प्यारी हूँ न्यारी हूं,
अनपढ को समझ आऊ,
कुछ एेसी हूं मैं

अपने पन का एहसास हूं
बच्चे,बूढे की आस हूं 
साल के एक दिन गुनगान हो मेरा
बाकी दिन सौतन के मेरी 
क्या इतनी बुरी हूं मैं

अंग्रेज तो चले गएे
छोड़ गऐ सौतन मेरी
ना अपनाओ इसे 
क्या इतनी बुरी हूं मैं

सौतन मेरी आपकी जरूरत है
पर ये भी मेरे बिना अधूरी हैं
सिखाने हो बच्चो को alphabets
तो हिन्दी मे सिखाना जरूरी है
कुछ ऐसी हूं मैं

शदियो से बोली जा रही हूं मैं 
अब ना मेरा अंत करो
इतना सा कहूं मैं आज 
आपके अतीत में थी,वर्तमान में हूं,
अरे भविष्य में रहने दो 1 मैं(हिंदी) कुछ कहने आई हूं
सरल हूँ सहज हूं,
प्यारी हूँ न्यारी हूं,
अनपढ को समझ आऊ,
कुछ एेसी हूं मैं

अपने पन का एहसास हूं
बच्चे,बूढे की आस हूं 
साल के एक दिन गुनगान हो मेरा
बाकी दिन सौतन के मेरी 
क्या इतनी बुरी हूं मैं

अंग्रेज तो चले गएे
छोड़ गऐ सौतन मेरी
ना अपनाओ इसे 
क्या इतनी बुरी हूं मैं

सौतन मेरी आपकी जरूरत है
पर ये भी मेरे बिना अधूरी हैं
सिखाने हो बच्चो को alphabets
तो हिन्दी मे सिखाना जरूरी है
कुछ ऐसी हूं मैं

शदियो से बोली जा रही हूं मैं 
अब ना मेरा अंत करो
इतना सा कहूं मैं आज 
आपके अतीत में थी,वर्तमान में हूं,
अरे भविष्य में रहने दो 1 मैं(हिंदी) कुछ कहने आई हूं