नारायन नारायन जपत जात , भक्त प्रह्लाद था जिसका नाम... स्वयं नारायन जिसके कण कण में बसते, उनका स्मरण करना ही था उसका काम। हिरण्यकश्यपू जैसा राक्षस, जो स्वयंको ही भगवान था मानता... नारायन नाम से चीड़ थी जिसको, ऐसा अहंकारी था उसका पिता... निश्चय उसका अटल था, भगवान के प्रती अपार थी उसकी श्रद्धा... अपनों ने ही जब धिक्कार किया, तब भगवान विष्णु ने ही दूर की अपने प्रिय भक्त की हर एक बाधा। क्रोध में आकर पिताने, पुत्र को समंदर में फेंका, परबत से गिराया... गरम तेल में डाला, और हांती के पग से कुचलाने का भी प्रयास किया। किंतु, कुछ न कर सके उसका, सारी युक्तियां हुई असफल... होती भी कैसे जब स्वयं नारायन ही थे उसके साथ हर समय, हर पल। तब बुलाया गया होलिका नामक राक्षीसी को🤯 अग्नि उसे कुछ न कर सकती ऐसा था जिसे वरदान... टिक न सकी छोटे से बालक के सामने, साथ थे उसके स्वयं श्री कृष्ण भगवान। ईस घटना से सबको, बुराई पर अच्छाई की जीत💯 की सिख मिली... इससे प्रेरीत आज के शुभावसर पे सब लोग मनाते है होली।💥 चलो तो सब होली के ईस पवित्र अग्नि में,अपने क्रोध, अहंकार, दुखोंका दहन कराए... आवो सारे साथ में आकर रंगो की शुभ होली मनाए।😃💫 -Sanchita Kekane 💥 Happy Holi💥 ©Sanchita DILIP Kekane #hapoyholi