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खुशियां कम और अरमान बहुत है, जिसे देखो परेशान बहुत

खुशियां कम और अरमान बहुत है,
जिसे देखो परेशान बहुत हैं।
करीब से देखा तो निकला रेत का घर,
मगर दूर से इसकी शान बहुत हैं ।
कहते है सच का कोई मुकाबला नहीं,
मगर आज झूठ की पहचान बहुत हैं।
मुुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
यूं तो कहने को इंसान बहुत हैं।

©Prachi Yadav
  #दिखावे की दुनिया
prachiyadav8587

Prachi Yadav

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