बहुत हो चुकी विरह हमारी, तुम्हारे लिए अब मैनें फूलों का तोहफ़ा लायी हूं। छोड़ दो अब अपनी रुसवाई साहिब, तुम्हें मनाने फूलों का गुलिस्तां लायी हूं। फूलों की भींगी खुशबू सी महकती रहे, अब हम दोनों की ये हसीन वादियां, इसलिए एक एक फूलों को चुनकर मैं, कांटों को बगिया में छोड़ आयी हूं।। हमारे प्यार का ये मधुर सम्बन्ध, जन्मों जन्मों का ये अपना प्यार नाता है, लाल रंग के गुलाब के संग, तुमसे अपने प्यार का इजहार करने आयी हूं।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-84 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।