पैड़ भले ही एक ना लगाओ तुम जो हैं उनको तो बचाओ तुम इंसान बड़ा बेदर्द हो चुका है पहले इसे तो समझाओ तुम कि जिन्दगी हमारी चलाते हैं ये धरती को स्वर्ग सा बनाते है ये और मन आनन्दित हो जाये सबका दुल्हन सी धरती को सजाते है ये और इंसान साथ छोड़ देते हैं पर अंतिम साँसों तक साथ निभाते है ये मर कर भी बेकार ना होते है पेड़ किसी का आशियाना बन जाते हैं ये और मतलबी तो बस दुनियाँ है यारो बेमतलब ही मतलब निभाते हैं ये॥ ©Jitendra Tak Kavyajit #environment #tree #matlab #poem #Rose