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कुण्डलिया निर्ममता तो देखिए, किया हृदय पाषाण।

कुण्डलिया

निर्ममता तो देखिए,  किया   हृदय पाषाण।
फिर भी उसके प्रेम में, व्याकुल हैं ये प्राण॥
व्याकुल हैं ये प्राण, ढूँढते   फिरते  उसको।
रत्ती भर भी नहीं, हमारी  चिन्ता  जिसको।
सूख  गये  हैं  अश्रु, रक्त  धमनी  में जमता।
वह  निष्ठुर निश्चिन्त, हाय! ऐसी  निर्ममता॥

©Jitendra Kumar 'Noor'
  #कुण्डलिया