" गौर्रया " एक नन्ही सी गौर्रया थी, रहती थी मेरे घर के मुंडेर पे, उसके चहकने से सुबह होती थी हमारी, रात भी उसके आने से होती थी हमारी, फुदकती रहती आँगन मे दिन भर, खाती थी वो दाना चुग् चुग् कर, थी वो जान एक छोटी सी प्यारी, पर देती थी वो खुशीयाँ हमे ढेर सारी..!! " विश्व गौर्रया दिवस " #pc_google #Gaurrya #20march #Vishv_Gaurrya_Divas