जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए । नई ज्योति के धर नये पंख झिलमिल, उड़े मर्त्य मिट्टी गगन-स्वर्ग छू ले, लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी, निशा की गली में तिमिर राह भूले, खुले मुक्ति का वह किरण-द्वार जगमग, उषा जा न पाए, निशा आ ना पाए। -गोपाल दास नीरज विन्रम श्रद्धांजलि ##rip### ##rip##