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ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों... ये रातों क

ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों...

ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों
ये ख्याला जहन से जाते नही क्यों
अक्सर तन्हा मन क्यों होता है
इसके अंदर इतना उथल पुथल क्यों होता है,
ये सवाल क्यों ऐसे करता जिसका जवाब नही ढूंढ पता ये,
कुछ अंदर ना तब दुखता है, ये क्यों फिर ऐसे तकलीफ बढ़ता है,
किस्से कहे, कोई नही होता इसके पास जो इसकी सुनना चाहता है,
क्यों की इसे कहना ही तो नही आता है,
इसे इत्मीनान से बताना आता है, 
इसे रुक रुक कर सोच समझ कर समझाना आता है,
अपने अंदर की उथल पुथल कहने से ज्यादा 
न इसे मजाक करके मन बहलाना आता है,
दोस्त ये मन जब सच्चा बनाता है, 
उनको भी बार बार ये सब कहकर उनके ऊपर बोझ नहीं बनना चाहता है,
अकेले में कुढ़ता है, खुद से जैसे चिढ़ता है, बहुत गुस्सा भी करता है, 
पर बस कहने से अपना ये हाल ना अक्सर मुकरता है,
पर ऐसा नही की ये नही कहना चाहता है,
बस ये जिन्हे कह पाता है, उनको मुस्कुराता देखना चाहता है,
अपने परेशानियों से परेशान नहीं करना चाहता है,
तो बस इसीलिए नही बताता है, पर ना ये मन अक्सर टूट जाता है,
जब इसका हाल ये सोचता है ना तो समेट तो लेता है खुद को 
पर कभी कभी समेटते समेटते फिर बिखर ही जाता है। — % & ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों....
#mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdada #yqbaba #yqhindi #yqhindiwriters #awakeningsoul
ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों...

ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों
ये ख्याला जहन से जाते नही क्यों
अक्सर तन्हा मन क्यों होता है
इसके अंदर इतना उथल पुथल क्यों होता है,
ये सवाल क्यों ऐसे करता जिसका जवाब नही ढूंढ पता ये,
कुछ अंदर ना तब दुखता है, ये क्यों फिर ऐसे तकलीफ बढ़ता है,
किस्से कहे, कोई नही होता इसके पास जो इसकी सुनना चाहता है,
क्यों की इसे कहना ही तो नही आता है,
इसे इत्मीनान से बताना आता है, 
इसे रुक रुक कर सोच समझ कर समझाना आता है,
अपने अंदर की उथल पुथल कहने से ज्यादा 
न इसे मजाक करके मन बहलाना आता है,
दोस्त ये मन जब सच्चा बनाता है, 
उनको भी बार बार ये सब कहकर उनके ऊपर बोझ नहीं बनना चाहता है,
अकेले में कुढ़ता है, खुद से जैसे चिढ़ता है, बहुत गुस्सा भी करता है, 
पर बस कहने से अपना ये हाल ना अक्सर मुकरता है,
पर ऐसा नही की ये नही कहना चाहता है,
बस ये जिन्हे कह पाता है, उनको मुस्कुराता देखना चाहता है,
अपने परेशानियों से परेशान नहीं करना चाहता है,
तो बस इसीलिए नही बताता है, पर ना ये मन अक्सर टूट जाता है,
जब इसका हाल ये सोचता है ना तो समेट तो लेता है खुद को 
पर कभी कभी समेटते समेटते फिर बिखर ही जाता है। — % & ये रातों को नींद मुझे आती नही क्यों....
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seemasharma7192

Seema Sharma

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