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उसे कभी ये जाहिर नही होने दिया की वो पसन्द है मुझे

उसे कभी ये जाहिर नही होने दिया की वो पसन्द है मुझे । उससे बहुत बाते होने लगी । लगता था कि वो परेशान है अपनी जिंदगी को लेकर नही अपने प्यार को लेकर । उसके प्यार ने उसे वक्त देना कम कर दिया था । जो लड़की अपने प्यार को इतना महत्त्व देने लगे की उसी की पसन्द का हर काम करे उससे पूछे बगैर कोई भी काम ना करे और वो ही उसे नजरअंदाज करना शुरू कर दे तो क्या गुजरती है मैं समझता था उसकी भावनाओं को वो क्या सोचती थी क्या चाहती थी । वो इस विशाल गगन में उड़ने वाली इक नन्ही सी जान थी ।

हम केरल बहुत घूमे मैं वही वही जाता था जहाँ जहाँ वो जाती थी । वहाँ से आने के कुछ दिन बाद फेसबुक पर एक नोटिफिकेशन आयी फ्रेंड रिक्वेस्ट की शुरू में यकीन नही हुआ की ये वो ही हैं या उसके नाम की कोई और । मैंने बात की तो वो ही थी । तीन साल के इंतजार का ऐसा भी कुछ मिलेगा सोचा न था । मैंने उससे दसवे दिन की सुबह 9:30 बजे तक बात की उसके बाद ना उसने कभी मुझसे बात की और नही मैंने उससे बात की । उसी दिन दीवाली थी और हम बर्बाद भी उसी दिन हुए थे । दिल भी उसी पर आया और उसी पर रह गया । अगले महीने से मेरे पेपर थे नतीजा ये हुआ की मैं पाँच विषय मे फेल हो गया । क्योंकि !

                 हम  बर्बाद  भी  उस  दिन  हुए
                  जिस दिन सारी दुनिया ने जशन मनाया ।।

मैंने खुदको उस वक्त में ऐसा सम्भाला की मैं आज तक नही टूटा । अगले सेमेस्टर में आठ विषय के साथ मैंने पाँच फेल के विषय भी पास कर लिए । पढ़ाई मैंने उतने ही साल में पूरी की जितने साल में उसे पूरा होना चाहिए था । Five Back in a Semester
उसे कभी ये जाहिर नही होने दिया की वो पसन्द है मुझे । उससे बहुत बाते होने लगी । लगता था कि वो परेशान है अपनी जिंदगी को लेकर नही अपने प्यार को लेकर । उसके प्यार ने उसे वक्त देना कम कर दिया था । जो लड़की अपने प्यार को इतना महत्त्व देने लगे की उसी की पसन्द का हर काम करे उससे पूछे बगैर कोई भी काम ना करे और वो ही उसे नजरअंदाज करना शुरू कर दे तो क्या गुजरती है मैं समझता था उसकी भावनाओं को वो क्या सोचती थी क्या चाहती थी । वो इस विशाल गगन में उड़ने वाली इक नन्ही सी जान थी ।

हम केरल बहुत घूमे मैं वही वही जाता था जहाँ जहाँ वो जाती थी । वहाँ से आने के कुछ दिन बाद फेसबुक पर एक नोटिफिकेशन आयी फ्रेंड रिक्वेस्ट की शुरू में यकीन नही हुआ की ये वो ही हैं या उसके नाम की कोई और । मैंने बात की तो वो ही थी । तीन साल के इंतजार का ऐसा भी कुछ मिलेगा सोचा न था । मैंने उससे दसवे दिन की सुबह 9:30 बजे तक बात की उसके बाद ना उसने कभी मुझसे बात की और नही मैंने उससे बात की । उसी दिन दीवाली थी और हम बर्बाद भी उसी दिन हुए थे । दिल भी उसी पर आया और उसी पर रह गया । अगले महीने से मेरे पेपर थे नतीजा ये हुआ की मैं पाँच विषय मे फेल हो गया । क्योंकि !

                 हम  बर्बाद  भी  उस  दिन  हुए
                  जिस दिन सारी दुनिया ने जशन मनाया ।।

मैंने खुदको उस वक्त में ऐसा सम्भाला की मैं आज तक नही टूटा । अगले सेमेस्टर में आठ विषय के साथ मैंने पाँच फेल के विषय भी पास कर लिए । पढ़ाई मैंने उतने ही साल में पूरी की जितने साल में उसे पूरा होना चाहिए था । Five Back in a Semester
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