सुबह के चार बजे हैं, और मैं व्हाट्सएप्प चला रहा हूँ । ये तो कुछ और बात है, दरअसल मैं उसको भुला रहा हूँ। यूँ अक़्सर उसकी DP को, zoom कर देता हूँ मैं । ख़ुद जगकर, साँसों की थपकियों से शायद उसको सुला रहा हूँ मैं । ...///..//.. शिवम " मुसाफ़िर " #यादें #nojoto #openmicdelhi