कुम्हार का चाक अनुशासन और नियम की धुरी पर चलकर ही गीली मिट्टी को बर्तन और खिलौने को रूप देता है ये कच्चे बर्तन और खिलौने आग में ही तपकर मजबूत और आकर्षण हो जाते हैं। मानव जीवन भी चाक की ही तरह होता है सभ्यता और संस्कार की धुरी पर चलकर ही संयम और अनुशासन के आग में तपकर जीवन को सद्भाव, संवेदना, करुणा और दया से सुमार्ग पथ पर चलने के साथ ही जीवन के वास्तविक उद्देश्य की 'एक तलाश' में सफल होता है। ©गौरव उपाध्याय 'एक तलाश' #DesertWalk #kumbhar #चाक #नियम #अनुशासन