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उसकी बातों में है बला की खलिश जो चीर देती है किसी

उसकी बातों में है बला की खलिश
जो चीर देती है किसी जी को
बहुत सताया गया है उसको,
तभी बातों में वो तेजाब 
लिए फिरती है।

उसकी मासूम सी दिखती निगाहों
के भरम तो बिल्कुल मत पालो
उसने जो सहा था खुद पर
उन मसलों का हिसाब
लिए फिरती है।

जिन नदियों के रास्ते पुरजोर रोकने
की कोशिश करते नहीं थकते
याद रखना,वो नदियां
अपने भीतर सैलाब
लिए फिरती है। #yopodimo में आज की कविता #अवरोहीक्रम में लिखी जाए।
अर्थात घटते हुए क्रम में।  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
उसकी बातों में है बला की खलिश
जो चीर देती है किसी जी को
बहुत सताया गया है उसको,
तभी बातों में वो तेजाब 
लिए फिरती है।

उसकी मासूम सी दिखती निगाहों
के भरम तो बिल्कुल मत पालो
उसने जो सहा था खुद पर
उन मसलों का हिसाब
लिए फिरती है।

जिन नदियों के रास्ते पुरजोर रोकने
की कोशिश करते नहीं थकते
याद रखना,वो नदियां
अपने भीतर सैलाब
लिए फिरती है। #yopodimo में आज की कविता #अवरोहीक्रम में लिखी जाए।
अर्थात घटते हुए क्रम में।  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi