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मैं टकरा के गिर गया, जो झुककर नहीं देखा, जब उठ के

मैं टकरा के गिर गया, जो झुककर नहीं देखा,
जब उठ के चल दिया, तो मुड़कर नहीं देखा..!!

दिल बहलाने को सबने, साथी ढूंढ लिए अपने,
किसी ने भी यहाँ मेरा, दिल-ए-बंजर नहीं देखा..!!

जब अपने साथ साया, मुझे महसूस हुआ कोई,
हक़ीक़त थी या किस्सा, कभी छूकर नहीं देखा..!!

सभी गाते रहे किस्से, किसी की बेवफाई के,
उन्होंने मिरे सीने पे वो, लगा खंज़र नहीं देखा..!!

तमाशा सभी ने था देखा, मेरी ढलती शाम का,
मैंने खुद ही की बर्बादी का, ये मंज़र नहीं देखा..!!

क्यूँ चंद पलों की बादशाहत पे, मरने लगे हैं सब,
मैंने उधार लिए पंखों से, कभी उड़कर नहीं देखा..!!

मुझे प्यार के रिश्ते से, यूँ मोहब्बत है "मतवाला",
मैंने किसी से नफ़रत में, कभी जुड़कर नहीं देखा..!! कभी किसी से #नफरत नहीं की मैंने....

#udquotes 
#udghazals
#टकरा 
#दिल_ए_बंजर
#मंजर 
#उत्तम_मतवाला
मैं टकरा के गिर गया, जो झुककर नहीं देखा,
जब उठ के चल दिया, तो मुड़कर नहीं देखा..!!

दिल बहलाने को सबने, साथी ढूंढ लिए अपने,
किसी ने भी यहाँ मेरा, दिल-ए-बंजर नहीं देखा..!!

जब अपने साथ साया, मुझे महसूस हुआ कोई,
हक़ीक़त थी या किस्सा, कभी छूकर नहीं देखा..!!

सभी गाते रहे किस्से, किसी की बेवफाई के,
उन्होंने मिरे सीने पे वो, लगा खंज़र नहीं देखा..!!

तमाशा सभी ने था देखा, मेरी ढलती शाम का,
मैंने खुद ही की बर्बादी का, ये मंज़र नहीं देखा..!!

क्यूँ चंद पलों की बादशाहत पे, मरने लगे हैं सब,
मैंने उधार लिए पंखों से, कभी उड़कर नहीं देखा..!!

मुझे प्यार के रिश्ते से, यूँ मोहब्बत है "मतवाला",
मैंने किसी से नफ़रत में, कभी जुड़कर नहीं देखा..!! कभी किसी से #नफरत नहीं की मैंने....

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uttamdixit1025

Uttam Dixit

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