इन कुछ दिनों में समझ आया की सांसें उधार की हैं जो पल पल मोल ना चुकाया तो सब खत्म हो जायेगा! पानी बिका, मज़ाक हमने बनाया हवा भी बिकने लगी और, अब मज़ाक हमारा बन जाएगा! बच्चा बिलबिला के सांसें उधार अपनी माँ के लिए मांगता है तो कहीं एक बूढा बाप अपने बेटे को कंधे पर उठा के ले जा रहा है ज़िम्मेदारी किसकी? क्या खुदा ने नसीब में यही लिखा था नहीं... गलती हमारी थी, भले ही आप नसीब की चादर ढक दें, पर आइना तो बस सच ही बतलाएगा! डॉक्टर के क्लिनिक के रोज़ जब चक्कर लगाए रोज़ किसी ना किसी को बिलखते देखा तो यकीं हुआ की हाँ मर्ज़ तो है और ये मर्ज़ रोज़ ही एक नया रंग दिखलायेगा! जो कल तक आंकड़े थे, आज अपने हैं जो खबरें थी वो भयानक सच्चाइयां यादों ही यादों में अलविदा कहा अब उनको अब तो उनको बस खुदा ही गले लगाएगा! अस्पतालों में किल्लत अब ज़िंदगी की है पैसों का रौब अब दूर तलख़ नहीं दिखता बड़े से बड़ा अमीर आज ख़ाली हाथों रुख़सत हुआ सच है, पैसा कब तक साथ निभाएगा? आज मुसीबतों से जूझ रहा है वतन मेरा नाकामियों का ठीकरा सिर्फ सरकारों पर है ज़िम्मेदारी हमारी आपकी हम सब की है देश हमारा उत्तरदायी इसका हमें ही ठहराएगा हमें ही ठहराएगा... ©Ak.vaibhav #corona #accountability