रिश्तों की भी एक उम्र होती है, क़दर-ए-फ़िक्र भरपूर होती है, वे रिश्ते भी बंज़र हो जाते हैं, जहाँ अभिमान जड़ कर जाते हैं। रिश्तों में ख़्वाब संजोना सही नहीं, सूझबूझ से चलना मुश्किल तो नहीं, प्यार के सागर में जो तैर जाते हैं, रिश्ते उन्हीं को समझ में आते हैं। शत्रुओं से भी जो प्रेम कर सके, अपनी उत्कंठा से जो लड़ सके, हर रिश्ते में मिठास पा जाते हैं, रिश्तों की अहमियत जो जान पाते हैं। **कोरा काग़ज़** "हम लिखते रहेंगे" दिनांक - 03.04.2020 टीम hashtag - #संगरोधितकलम #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #yqdidi #dkchindi