मालूम नहीं कि ये कोरोना का राहे -सफर कहां ले जाएगा,और सबसको क्या-क्या दिखवाएगा, मालूम नहीं कि ये कोरोना कितना कहर बरसाएगा और दुनियाँ के लोगों को कितना सताएगा। मालूम नहीं कि ये कोरोना कब तक सभी को अपने अपने घरों की सीमाओं में कैद रखवाएगा, लोगों को लोगों से मिलने को तर्शाएगा,मालूम नहीं ये कि कितनों को खून के आंँसू रुलाएगा। मालूम नहीं कि ये कितने अपनों को मिलवाएगा और कितनों को अपनों से दूर करवाएगा, मालूम नहीं कि ये कोरोना अभी कितने और मजबूरोऺ को और भी अधिक मजबूर बनाएगा। मालूम नहीं कि ये कोरोना इस दुनिया में अभी कितना कहर और हाहाकार मचाएगा, मालूम नहीं कि ये कोरोना दुनिया से कब जाएगा और सभी को चैन की सांँस दिलाएगा। #PnDWnaPoWriMo9 A poetry writing challenge 🔥 Open for All 🔥 brought to you by Proverbs World ♥️ In collaboration with Dreams World 💕