लहू को बहाकर के लाल रंग को बदनाम कर दिया, धर्म की पोत दी कालिख दिल्ली को शर्मसार किया। जलाकर के शहर मोहब्बत के रंगों को भी जला दिए, हंसते खेलते घरों के खुशियों के चिराग बुझा दिए। बांट दिया तुमने रंगो को धर्मो के चश्मों से झांककर, दंगों में बरपाया कहर, नफरत के रंगों को भांपकर। अमन का दमन करने जो बने हैवानियत के सारथी, इंसानियत के हत्यारों को माफ न करेगी मां भारती। प्यार का मजहब रखने वाले रंगों का भ्रम तोड़ दिया, अमन के हत्यारों ने रंगो को भी मजहब से जोड़ दिया। #Colorप्यार के रंगों से खिलवाड़