में खामियों का खैरात, खूबीयों के बाजार में बेचने चला हूं खिलौनों में बचपन, और जवानी में मकशद ढूंढने चला हूं पिछले पन्नों में आज का अक्ष आंकने की नीड़ में,भरी कागज़ों में 'वक़्त वक़्त वक़्त' लिखने चला हूं में गहराइयो में गोते लगाता, आज तारों को चुराने चला हूं #Niche