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लहरें समन्दर में उठें या मन में एक मुक़म्मल साहिल ढ

लहरें समन्दर में उठें या मन में
एक मुक़म्मल साहिल ढूंढ़ती हैं.

इंतहा  हो  जाए  जब ज़ुल्म की
कायनात एक नाज़िल ढूंढ़ती है.

मंजिलें होती नहीं जरा मुश्किल 
वो तो इंसान  काबिल  ढूंढ़ती हैं.

असफलताएं ख़ुद नहीं होती बदनाम
वो तो मुसाफ़िर ग़ाफ़िल ढूंढ़ती हैं.

सियासत यूं ही  नहीं ढाती  ज़ुल्म
पहले वो आवाम जाहिल ढूंढ़ती है.. #siyasat #julm #awam #Nojoto  #Nojotolover #nojotoshayari #Shayari 

लहरें समन्दर में उठें या मन में
एक मुक़म्मल साहिल ढूंढ़ती हैं.

इंतहा  हो  जाए  जब ज़ुल्म की
कायनात एक नाज़िल ढूंढ़ती है.
लहरें समन्दर में उठें या मन में
एक मुक़म्मल साहिल ढूंढ़ती हैं.

इंतहा  हो  जाए  जब ज़ुल्म की
कायनात एक नाज़िल ढूंढ़ती है.

मंजिलें होती नहीं जरा मुश्किल 
वो तो इंसान  काबिल  ढूंढ़ती हैं.

असफलताएं ख़ुद नहीं होती बदनाम
वो तो मुसाफ़िर ग़ाफ़िल ढूंढ़ती हैं.

सियासत यूं ही  नहीं ढाती  ज़ुल्म
पहले वो आवाम जाहिल ढूंढ़ती है.. #siyasat #julm #awam #Nojoto  #Nojotolover #nojotoshayari #Shayari 

लहरें समन्दर में उठें या मन में
एक मुक़म्मल साहिल ढूंढ़ती हैं.

इंतहा  हो  जाए  जब ज़ुल्म की
कायनात एक नाज़िल ढूंढ़ती है.