संतो के स्वभाव के पंछी मीठी सी गुहार लगाते हैं, थोड़ा दाना पानी रख दो उतने मे तृप्त हो जाते है। © Vibrant_writer इंसानियत अभी बाकी है, यह देख खुश हो जाता हूं, इंसान को जगाने वाला, मैं एक आजाद परिंदा हूं। संतो के स्वभाव के पंछी मीठी सी गुहार लगाते हैं, थोड़ा दाना पानी रख दो उतने मे तृप्त हो जाते है। © Vibrant_writer इंसानियत अभी बाकी है,