वो भी वक़्त था जब तू इस सरजमीं पर था कोशिश तेरी भी थी ,कोशिश उसकी भी थी आजादी तेरी चाहत थी ,जो तूने लेना चाही थी,क्या गलती तेरी थी जो यू मौत की सजा सुनाई थी,आजादी तेरा हक़ था पर भाँडो का खेल मेरा भगत न समझ पाया था तभी हँसते हँसते फंदे को गले लगाया था ©Advocate Suresh choudhary #saheeddiwas #SaheedBhagatSingh #bhagatsingh