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इंतजार में था राहों पर अकेला था रातों का अंधेरा था

इंतजार में था
राहों पर अकेला था
रातों का अंधेरा था
गहरे रंग भरा सन्नाटा था
दिल धड़कने की आवाज थी
किसी के इंतजार में आंख बेकरार थी
लाल रंग इंतजार का था
मेरी आंखों में सजा आफताब सा था
 रुकने को आई थी सांस मेरी
इंतजार की घड़ी अभी भी चल रही

शशांक
                        आबशार......  Part 1

©Shashank Prashar #poemcontinue part 1

#letter
इंतजार में था
राहों पर अकेला था
रातों का अंधेरा था
गहरे रंग भरा सन्नाटा था
दिल धड़कने की आवाज थी
किसी के इंतजार में आंख बेकरार थी
लाल रंग इंतजार का था
मेरी आंखों में सजा आफताब सा था
 रुकने को आई थी सांस मेरी
इंतजार की घड़ी अभी भी चल रही

शशांक
                        आबशार......  Part 1

©Shashank Prashar #poemcontinue part 1

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