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किसी शाम तेरी उंगलियां थामे धीरे कदमों से सरकती ध

किसी शाम 
तेरी उंगलियां थामे
धीरे कदमों से सरकती धूप के पीछे पीछे
मैं उफ़क तक चलता चला जाऊँ
जहाँ 
तू, तू ना हो 
मैं, मैं ना हूँ 
और हमारे अलावा 
किसी का भी वजूद ना हो #tales
किसी शाम 
तेरी उंगलियां थामे
धीरे कदमों से सरकती धूप के पीछे पीछे
मैं उफ़क तक चलता चला जाऊँ
जहाँ 
तू, तू ना हो 
मैं, मैं ना हूँ 
और हमारे अलावा 
किसी का भी वजूद ना हो #tales
shonaspeaks4607

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