किसी शाम तेरी उंगलियां थामे धीरे कदमों से सरकती धूप के पीछे पीछे मैं उफ़क तक चलता चला जाऊँ जहाँ तू, तू ना हो मैं, मैं ना हूँ और हमारे अलावा किसी का भी वजूद ना हो #tales