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मेरे शहर में उठा कोई धुंआ सा हैं थोड़ा सा दामन मेरा

मेरे शहर में
उठा कोई धुंआ सा हैं
थोड़ा सा दामन मेरा भी जला सा
ना जाने क्यों सब जहग धुंआ धुंआ सा हैं
कहीं जातिवाद तो कहीं तानाशाही से घिरा हैं
ना कोई अपना. सा ना कोई ही कोई पराया सा
सब के सब आप मतलबपरस्ती मे जलते से हैं
मेरे शहर में
नफरत का जहर धुंआ धुंआ सा बनके उड़ रहा है #मेरेशहरमें
मेरे शहर में
उठा कोई धुंआ सा हैं
थोड़ा सा दामन मेरा भी जला सा
ना जाने क्यों सब जहग धुंआ धुंआ सा हैं
कहीं जातिवाद तो कहीं तानाशाही से घिरा हैं
ना कोई अपना. सा ना कोई ही कोई पराया सा
सब के सब आप मतलबपरस्ती मे जलते से हैं
मेरे शहर में
नफरत का जहर धुंआ धुंआ सा बनके उड़ रहा है #मेरेशहरमें
jyotinawhal9923

Jyoti Nawhal

New Creator