Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो मदिरा सी बनी फिरती,मैं नशे में झूम लेता था। वो

वो मदिरा सी बनी फिरती,मैं नशे में झूम लेता था।
वो दुनिया थी- मेरी दुनिया, मैं उसमें घूम लेता था।
इन्ही नादानियों का है , गवाह ये इश्क तो मेरा।
वो जब पलकें झुकाती थी , मैं माथा चूम लेता था।


वो जब सपनो में भी उसके, हम किरदार  होते थे।
वो उसके हक जताने पर भी ,हम हकदार होते थे।
निशां उसके पड़े धुंधले , मुलाकातों की राहों में।
मिलन की आस वो रखती तो, हम आसार होते थे।


उसे जब देख लेता था , मैं  उसकी बिखरी ज़ुल्फों में।
रांझा बन के फिरता था , मैं खुद के स्वपन महलों में।
ख़फ़ा मुझसे वो होती तो , लगे दुनिया मेरी  रूठी ।
ये उसी रांझे की दुनिया है ,जो लिखता हीर ग़ज़लों में 


तेरी दौलत तेरी शोहरत , नही कुछ भी मैं चाहूंगा।
 मोहबत्त है मोहबत्त तू  , मैं बस इकरार चाहूंगा।
  सबर का खेल ये तेरा , मेरी जां पर है बन आया।
 जो ग़र खुद को जिताता हूँ , तो तुझको हार जाऊँगा।

विकास शर्मा #NojotoIIITM
वो मदिरा सी बनी फिरती,मैं नशे में झूम लेता था।
वो दुनिया थी- मेरी दुनिया, मैं उसमें घूम लेता था।
इन्ही नादानियों का है , गवाह ये इश्क तो मेरा।
वो जब पलकें झुकाती थी , मैं माथा चूम लेता था।


वो जब सपनो में भी उसके, हम किरदार  होते थे।
वो उसके हक जताने पर भी ,हम हकदार होते थे।
निशां उसके पड़े धुंधले , मुलाकातों की राहों में।
मिलन की आस वो रखती तो, हम आसार होते थे।


उसे जब देख लेता था , मैं  उसकी बिखरी ज़ुल्फों में।
रांझा बन के फिरता था , मैं खुद के स्वपन महलों में।
ख़फ़ा मुझसे वो होती तो , लगे दुनिया मेरी  रूठी ।
ये उसी रांझे की दुनिया है ,जो लिखता हीर ग़ज़लों में 


तेरी दौलत तेरी शोहरत , नही कुछ भी मैं चाहूंगा।
 मोहबत्त है मोहबत्त तू  , मैं बस इकरार चाहूंगा।
  सबर का खेल ये तेरा , मेरी जां पर है बन आया।
 जो ग़र खुद को जिताता हूँ , तो तुझको हार जाऊँगा।

विकास शर्मा #NojotoIIITM