थोड़ा दर्द, थोड़ी तड़प, थोड़ी आहो फ़ुगाँ, सबको मिलाकर जब बनाई साक़ी ने शराब न जाने कितने ही आशिक डुब गए लेकिन महफ़िलें मयखानों की कभी बेज़ायका न हुईं कल शाम उसने देखा मुझे कुछ ऐसी तल्ख़ नज़रों से, जितनी मोहब्बत से मुझे वो हर रोज देखा करता था बेशक उसे उसे न पाने का ग़म आज भी है लेकिन ख़ुशी इस बात की है कि कोशिशें अपनी रायगां न हुईं ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #YQdidi #shayari #YQghalib #hindi