कैसे कैसे सामना न होता मुश्किलों से गर कभी भला क़लम से मोहब्बत मैं करती कैसे पंख कुतरे न होते ज़माने ने गर कभी भला हौंसलों की उड़ान मै भरती कैसे। आज़माया न होता वक्त ने गर कभी