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मेरी इक बात पर तुम्हारी हज़ारों बातें, इन्हीं बातों

मेरी इक बात पर तुम्हारी हज़ारों बातें,
इन्हीं बातों के बीच तुम जो मुस्काते जाते,
तुम्हारी इसी मुस्कराहट पे, ख़ुदाकसम!
हम दिल-ओ-जान से फ़िदा हो जाते।
              -शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR
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