बंशी बाजे वृंदावन में बंशी बाजे वृंदावन में छेड़े प्रेम के तान रे राधा कृष्ण की जोड़ी जैसे श्वांसा और प्राण रे राधा जी भोली,दिखे गोरी गोरी कृष्ण प्रेम में खोई जैसे चांद की चकोरी कान्हा है नटखट,करता है खटपट माखन चोरी करके देखो,भागे है झटपट राधा के बिना कान्हा है आधा,कान्हा राधा की जान रे बंशी बाजे.............. यमुना किनारे ,दिल ये पुकारे राधा रानी दौड़ी आये,जब मुरलिया बाजे दिल मे है राधे ,मन मे भी राधे रोम रोम में कान्हा के राधे है समाये पवित्र प्रेम राधे कृष्ण का,चल कपट से अनजान रे बंशी बाजे................. ✍️कवि प्रदीप साहू "कुँवरदादा" कविता-बंशी बाजे वृंदावन में ✍️प्रदीप साहू "कुँवरदादा" श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी की अशेष बधाई व शुभकामनाये