माँ:शब्द नही एक खास एहसास माँ, पूर्ण शब्द, पूर्ण जीवन, पूर्ण स्वप्न । माँ, ज़िंदगी की कलम, रेगिस्तान में ठंडी पवन, बच्चे की पहली सनम । माँ, कभी कांटों सी , कभी फूलों सी , कभी मुश्किलों सी तो कभी रास्तों सी । माँ, कभी फटकारती, कभी पुचकारती, कभी प्यारी सी तो कभी रौद्र महाकाली सी । माँ, पल में गुस्सा होती, पल में मान जाती , वो माँ है साहब , कहाँ संतान बिन रह पाती। #maa #mothersday #motherslove #love #poetry #iloveyoumumma #hindi #writing