सुनो प्रिय हम ना धरा के कंठ से प्राण सूखने देंगे , और ना ही एक दूजे के अधरों से । "क्यूंकि प्रेम ही जीवन है ना और जल उसका आधार" -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) पृथ्वी को प्रेम की उतनी ही आवश्यकता है; जितनी कोशिकाओं को नमी की!! चूंकि यहां पीने योग्य पानी 3% है, वहीं जीने योग्य