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सुनो प्रिय हम ना धरा के कंठ से प्राण सूखने देंगे

सुनो प्रिय
हम ना धरा के कंठ 
से प्राण सूखने देंगे ,
और ना ही 
एक दूजे के अधरों से ।

"क्यूंकि प्रेम ही जीवन है ना
और जल उसका आधार"
-Anjali Rai
(शेष अनुशीर्षक में) पृथ्वी को प्रेम की 
उतनी ही आवश्यकता है;
जितनी कोशिकाओं को
नमी की!!

चूंकि यहां पीने योग्य 
पानी 3% है,
वहीं जीने योग्य
सुनो प्रिय
हम ना धरा के कंठ 
से प्राण सूखने देंगे ,
और ना ही 
एक दूजे के अधरों से ।

"क्यूंकि प्रेम ही जीवन है ना
और जल उसका आधार"
-Anjali Rai
(शेष अनुशीर्षक में) पृथ्वी को प्रेम की 
उतनी ही आवश्यकता है;
जितनी कोशिकाओं को
नमी की!!

चूंकि यहां पीने योग्य 
पानी 3% है,
वहीं जीने योग्य