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प्रेम पत्र कहूँ या पात्र इसे, मिलाये जो हमको कभी.

 प्रेम पत्र कहूँ या पात्र इसे,
मिलाये जो हमको कभी..!

इश्क़ की स्याही शाही हो कर,
अल्फ़ाज़ों में यूँ ही दबी..!

एक एक शब्द एहसास कराते,
मोहब्बत कितनी तुमसे रही..!

जज़्बातों को फिर समझो तुम,
चाहे ग़लत या सही..!

ज़ुबाँ-ए-इश्क़ ख़ामोश कहाँ तक,
कब तक रहे अनकही..!

कड़क तुम्हारा किरदार चाय सा,
भाये मन को हरदम यही..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Hum #prempatra