देखो अपने कल को अपने इस जीवन को, अपने सपनों के इस नई सुबह को। देखो आसमां में उड़ते उस पक्षी को, नदियों में तैरते इस मक्षी को। देखो पेड़ पर बैठे उस बन्दर को धूल में खेलते इस बच्चे को! क्या सोचा होगा इन सबने कुछ करने से पहले, क्या कहेगी ये धरा , क्या कहेगा ये जहाँ , क्या कहेगा ये आसमां। मत सोचो, तुम भी इनकी तरह अपने सपनो को पूरा करने से पहले, क्या कहेगा ये समाज , क्या कहेगा ये जहाँ । सोचा लिया बहुत बस अब नहीं रुकना है, देखे हुए सपनो को बस अब पूरा करना है। ©रुचि प्रियंवदा #motivational #Hope #Courage #zindagikerang