इश्क़ का अंजाम करते थे हम किसी से प्यार अपनी जान से ज्यादा कहते थे वह भी निभाएंगे अपना वादा समझा था मैं कि वह भी होगी मेरी राधा क्या पता था मुझे कि उसने तो सिर्फ अपना मतलब था साधा समझा न था मैं की रेगिस्तान में नहीं आती बहारें मुझे तो लूट लिया उसने, जो थे मेरे सहारे देखो आज तुम भी यहां की कोई कैसे मारे बर्बादी देखकर लौट गए तूफान किनारे से अजनबी लग रहे हैं आज ओ जो कभी हमारे थे लौट गए तूफान क्यों किनारे से #shailendra