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My 2433 poem आज फिर कोई ज़ख़्म हरा हुआ यादों के भी

My 2433 poem

आज फिर
कोई ज़ख़्म हरा हुआ
यादों के भी
पतझड़ होते हैं......

 #2433poem  #yqbaba #anupamajha
My 2433 poem

आज फिर
कोई ज़ख़्म हरा हुआ
यादों के भी
पतझड़ होते हैं......

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anupamajha9949

Anupama Jha

New Creator