सब कहते हैं अहिंसा की राह पे चलकर हमने आज़ादी पाई थी तो क्या सरदार भगत सिंह ने अपनी जान यूँ ही गवाई थी। सब कहते है खादी के कपड़ो से हमने आजादी पायी थी। को क्या झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई न यूँ ही तलवार उठाई थी। सब कहते है दांडी मार्च से हमने आजादी पायी थी तो क्या नेता जी सुभाष चंद्र बोस की खुद की लड़ाई थी। सब कहते हैं सत्यग्रह से हमने आजादी पायी थी तो क्या चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी जान दाव पे युँही लगाई थी। “मेरे देश के वीरो ने अपना खुन बहाया है तब जा कर मेरे देश ने आजादी का मुकाम पाया है। "