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कितना सकून था उस मुलाकात में जहा लब्जो से जयादा ख

कितना सकून था 
उस मुलाकात में
जहा लब्जो से जयादा
खामोशी बोलती थी।
तुम थी मैं था।
वक्त था।
हर चीज जैसे। 
हमारे मुताबिक थी
ना हाथो को थामना।
ना दूर होने का डर।
ना वक्त का तकाज़ा।
दिल, धड़कने। 
जज्बात चाहत एक तरफ।
तेरी मेरी मुलाकात एक तरफ।
जरा जरा सी बात पर।
घंटो जिरह करना।
और जब चुप होना।
मानो रात गुजर जाए सारी।
खुश होने से मतलब था।
क्या बोलते हैं क्यो बोलते।
क्या पहनते क्या करते।
रती भर फर्क नही था।
और जब मुलाकात खत्म होती।
यूं लगता एक बोझ उतर गया हो।
#अनुराजकितना सकून था 
उस मुलाकात में
जहा लब्जो से जयादा
खामोशी बोलती थी।
तुम थी मैं था।
वक्त था।
हर चीज जैसे। 
हमारे मुताबिक थी
ना हाथो को थामना।
ना दूर होने का डर।
ना वक्त का तकाज़ा।
दिल, धड़कने। 
जज्बात चाहत एक तरफ।
तेरी मेरी मुलाकात एक तरफ।
जरा जरा सी बात पर।
घंटो जिरह करना।
और जब चुप होना।
मानो रात गुजर जाए सारी।
खुश होने से मतलब था।
क्या बोलते हैं क्यो बोलते।
क्या पहनते क्या करते।
रती भर फर्क नही था।
और जब मुलाकात खत्म होती।
यूं लगता एक बोझ उतर गया हो।
#अनुराज

©Gulshan  Yadav
  #christmascelebration👩‍❤️‍💋‍👨  Nitoo Devi Rachana arshish Priti atul
goluyadavgolu1507

Gulshan Yadav

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