देखो शुरुवात हो गयी है.... तुम्हारी अदाओं की तपिश सब खाक ना कर दे शायद इसलिए बरसात हो गयी है फूलों सी तुम्हारी मेहक से गुमराह वो तुम्हे छूने निकले है तुम फ़िक्र ना करो मेरी उन भवरों से बात हो गयी है अंदाजा तुम्हारी खैरियत का हो चूका है हमें तुम्हारे कमरे से गुजरी उन हवाओं से मुलाक़ात हो गयी है देखो शुरुवात हो गयी है... @prakash_writes_04 #शुरुवात