रूह में बात बसने लगी है, जुबां से और निकलती नहीं। खामोशियों से मोहब्बत होने लगी है, लफ्ज़-ए-आरजू की जरूरत नहीं।। ©BINOदिनी #जुबां #आरजू_ए_जिंदगी