जोड़ने के लिए अपने बच्चों के सपने ,,, माँ बाप खुद को कुछ यूँ तोड़ते हैं ,,,, एक कतरे का भी हिसाब बड़ा महंगा है ,,, जो खून पसीना खुद का वो निचोड़ते है ,,, ख्वाब कहीं बच्चों का अधूरा ना रह जाए ,,, की दिन रात वो बेहिसाब कुछ यूँ दौड़ते है ,,, फैला कर के अपने बच्चों की जरूरतें वो ,,, की खुद की हसरतों को कुछ यूँ सिकोड़ते है ,,, आँख में आंसू ना दर्द कोई हो बच्चों को,,, वो हर दफा खुद को कुछ यूँ मरोड़ते है ,,, जोड़ने के लिए अपने बच्चों के सपने ,,, माँ बाप खुद को कुछ यूँ तोड़ते है ,,,