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उसकी ख़ामोशी ने सब बयां कर दिया राधा थिरक रहीं मग

उसकी ख़ामोशी  ने सब बयां कर दिया  राधा थिरक रहीं मगन........ शाम बजाए बांसुरी
मुरली का मेहके बदन........ शाम बजाए बांसुरी

फूंक ही उनकी क्या लगी, छाई फ़िज़ा में ताज़गी
सांस से मेहके पवन.......... शाम बजाए बांसुरी
उसकी ख़ामोशी  ने सब बयां कर दिया  राधा थिरक रहीं मगन........ शाम बजाए बांसुरी
मुरली का मेहके बदन........ शाम बजाए बांसुरी

फूंक ही उनकी क्या लगी, छाई फ़िज़ा में ताज़गी
सांस से मेहके पवन.......... शाम बजाए बांसुरी