देखो थाणी आखड़लिया मारी मारो नैणा नीर बह ग्यो, मै रोउ मनड़े उबी आँगन क्यूँ रे म्हारो पियो परदेसी हो ग्यो। थाणी याद में कळपती काया मारी होगयी केश, पिया मारी बात सुणो थे क्यूँ बैठा परदेस। पगलिया री सुण म्हे वाज वो, दौड़ी आई आंगणे पिया म्हारा वो, हिवड़ो गणो म्हारौ उकसायो, जद परदेसी तू आंगणे नइ आयो। सखी सहेली पूछे माने कद आवे भरतार जी, कुण समझावे इणने पिया होग्या परदेसी जी। जोगण बणगी म्हे ज्यूँ ही मीरा बाई वो, थे मत बणो जोगी म्हारा पिया परदेसी ओ। थारा सु मिलण री आस ही मारी, क्यूँ तोड़ी थे आस पिया मारी, उबि उबि थाने उडीकु धोरे माथे वो, कद आवेलो पियो परदेसी मारो वो| याद थाणी माने गणी आवे, परदेश पियो क्यूँ जावे, मनड़ो हो ग्यो उदास जद, परदेशी म्हारे देश आवेलो कद। म्हारी काया कळपी थाने कुण समझावे, "पारासरिया" सगळी बात बतावें। #राजस्थानी_कविता #पिया_म्हारा_परदेसी #nojoto #love #marwari #kavita शीर्षक - पिया म्हारा परदेसी ! देखो थाणी आखड़लिया मारी मारो नैणा नीर बह ग्यो,