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झूलते रहते खाली कई सवालात हैं करते। इन भेड़ियों को

झूलते रहते खाली कई सवालात हैं करते।

इन भेड़ियों को क्यूँ मेरे हवालात नहीं करते।।

एक दौर था जब निर्दोष को सौंप देते थे मुझे।

अब दोषियों को भी बचाते शर्म न आती तुझे।।

निर्दोष का जब चैन सुख सब पल में था लुट गया।

इन भेड़ियों को तुमने फिर क्यूँ इतना जीवन दे दिया।।

बस चले तो पल में इनकी नस्ल मैं बिगाड़ दूँ।

आतंक के इन जंगलों को रक्त का श्रृंगार दूँ।।

फिर कोई ऐसा नवंबर इतिहास में न आयेगा।

आतंक का नामो निशां इस धरा से मिट जायेगा।।

- speaking pen✍️

 #NojotoQuote झूलते फंदे
तरसते रहते हैं ये फंदे क्यों आतंकियों को तुरंत मुझ पर लटकाया नहीं जाता जबकि इतनी निर्ममता से ये निर्दोषों का खून बहा देते हैं।
#फाँसी #फंदे #execution #26_11 #terrorism #speakingpen #hindipoems #hindi
झूलते रहते खाली कई सवालात हैं करते।

इन भेड़ियों को क्यूँ मेरे हवालात नहीं करते।।

एक दौर था जब निर्दोष को सौंप देते थे मुझे।

अब दोषियों को भी बचाते शर्म न आती तुझे।।

निर्दोष का जब चैन सुख सब पल में था लुट गया।

इन भेड़ियों को तुमने फिर क्यूँ इतना जीवन दे दिया।।

बस चले तो पल में इनकी नस्ल मैं बिगाड़ दूँ।

आतंक के इन जंगलों को रक्त का श्रृंगार दूँ।।

फिर कोई ऐसा नवंबर इतिहास में न आयेगा।

आतंक का नामो निशां इस धरा से मिट जायेगा।।

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 #NojotoQuote झूलते फंदे
तरसते रहते हैं ये फंदे क्यों आतंकियों को तुरंत मुझ पर लटकाया नहीं जाता जबकि इतनी निर्ममता से ये निर्दोषों का खून बहा देते हैं।
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